आत्मनिर्भर भारत पैकेज : राहत कम रिफॉर्म ज़्यादा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 की महामारी से पैदा हुए संकट से निबटने के लिए 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। उसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच प्रेस ब्रीफिंग में 20 लाख करोड़ रुपये का लेखा-जोखा दिया कि किन-किन मदों में कितनी राशि ख़र्च की जाएगी? कल हमने इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। आज के ब्लॉग में हम उन घोषणाओं का विश्लेषण करेंगे, इंशाअल्लाह।


01. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली ब्रीफिंग में 5.94 लाख करोड़ रुपये की रकम मुख्य तौर पर छोटे व्यवसायों को क़र्ज़ देने और ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और बिजली वितरण कंपनियों की मदद के नाम पर आवंटित करने की घोषणा की।

उनके इस क़दम में लॉक डाउन की मार झेल रहे लोगों के लिये, तात्कालिक राहत वाली कोई बात नहीं है। अतः पहली दिन की घोषणाएं रिफॉर्म (सुधार) से जुड़ी है।

02. वित्तमंत्री ने दूसरी ब्रीफिंग में 3.10 लाख करोड़ रुपये प्रवासी मज़ूदूरों को दो महीने तक मुफ्त में अनाज देने और किसानों को क़र्ज़ देने में इस्तेमाल करने की बात कही।

दूसरे दिन की घोषणाएं, मुफ़्त अनाज बाँटने के चलते तात्कालिक राहत से जुड़ी हुई है। लेकिन वन नेशन-वन राशन कार्ड जैसी घोषणाएं तत्काल लागू नहीं हुई हैं।

03. तीसरी ब्रीफिंग में 1.5 लाख करोड़ रुपये खेती के बुनियादी ढांचे को ठीक करने और कृषि से जुड़े संबंधित क्षेत्रों पर ख़र्च करने की बात कही गई।

यह घोषणाएं भी रिफॉर्म से जुड़ी है। अगर सही ढंग से लागू हुई तो कुछ समय बाद इसका असर दिखेगा। इसमें भी तात्कालिक राहत वाली कोई बात नहीं है।

04. चौथी ब्रीफिंग में कोयला, मिनरल्स, बिजली वितरण निजीकरण, सामाजिक बुनियादी ढांचा, रक्षा उत्पादन में विदेशी निवेश 49% से बढ़ाकर 74% करने, हवाई अड्डों, अंतरिक्ष क्षेत्र व परमाणु ऊर्जा में पीपीपी मॉडल के ज़रिए निजीकरण करने जैसी घोषणाएं की गईं।

चौथे दिन की यह घोषणाएं वैसी ही हैं, जैसी कि आम बजट में की जाती हैं। इसमें भी तात्कालिक राहत वाली बात नहीं है।

05. पाँचवीं ब्रीफिंग में मनरेगा, स्वास्थ्य क्षेत्र, शिक्षा क्षेत्र, कंपनीज़ एक्ट, कारोबार में सुगमता, सरकारी क्षेत्र के उपक्रम, राज्य सरकार के संसाधन में सुधार संबंधी घोषणाएं की गईं।

पाँचवें दिन की घोषणाएं भी लांग टर्म रिफॉर्म से जुड़ी हुई हैं। इसमें भी लॉक डाउन से पैदा हुए हालात के बारे में तात्कालिक राहत के उपाय नदारद हैं।

सरकार की ओर से 20 लाख करोड़ रूपये के मेगापैकेज की घोषणा करते हुए कहा गया था कि यह देश की कुल जीडीपी का 10 प्रतिशत है। अगर हम तात्कालिक राहत का आंकलन करें तो वो बहुत कम है।

आईआईएम अहमदाबाद की एसोसिएट प्रोफेसर रीतिका खेड़ा कहती है कि ये जो घोषणाएँ की गई हैं ये रिलीफ़ कम रिफॉर्म के कदम ज्यादा लगते हैं। उनका कहना है, इससे जब फायदा होगा तब होगा लेकिन अभी तत्काल राहत देने वाली इसमें बात कम हुई है।

अर्थशास्त्री रीतिका खेड़ा यह भी कहती हैं, ग़रीब तबके के लिए 26 मार्च से लेकर आज तक जो घोषणाएँ हुई हैं उसमें उस समय 31,000 करोड़ रुपये जनधन योजना के तहत अकाउंट में देने की बात कही गई थी। 3000 करोड़ वृद्धावस्था पेंशन के तहत देने की बात कही गई थी। ये दोनों मिलाकर 34000 करोड़ हुए। अब इसमें मनरेगा के तहत 40000 करोड़ रुपये जोड़े गये हैं। इसके अलावा राशन कार्ड वालों को तीन महीनों तक दोगुना राशन देने की बात कही गई है। गरीबों के सिर्फ इतनी ही घोषणाएँ हुई हैं। ये सब मिलाकर जीडीपी का एक फ़ीसदी भी नहीं होता है।

इस प्रकार देखा जाए तो सरकार ने ज्यादातर राहत की घोषणाएँ, लोन की शक्ल में व्यवसायों को देने वाली की है। सरकार का मानना है कि व्यवसाय जब चलेंगे तो फिर उससे रोज़गार पैदा होगा। रोज़गार मिलने से लोगों का फायदा होगा।

पहली बात, क्या बैंक ज़रूरतमंद कारोबारियों को आसानी से लोन दे देंगे? दूसरी बात, जब बाज़ार में मांग ही नहीं है तो इस वक़्त कंपनियां लोन लेंगी क्यों?


इसलिए जब तक सरकार बाज़ार में मांग को बढ़ाने को लेकर नहीं सोचेगी तब तक कुछ नहीं होगा। इसलिये ज़रूरी था कि लोगों के हाथ में पैसा पहुँचाने की योजना पर काम किया जाए जो कि इस राहत पैकेज में बहुत कम है। इस पैकेज पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना एकदम सही है कि जब तक लोगों की खरीदने की क्षमता नहीं बढ़ेगी तब तक कोई फायदा नहीं है।

सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिये जितनी भी घोषणाएं की हैं, उनका ज़मीन पर उतरना तब तक नामुमकिन है जब तक कि लॉक डाउन पूरी तरह हट नहीं जाता और जनजीवन पहले की तरह सामान्य नहीं हो जाता जो कि अभी दूर की कौड़ी है।

इंशाअल्लाह, इस कैटेगरी के अगले ब्लॉग में हम एक और अहम मुद्दे पर जानकारी देंगे, वो यह कि जब तक गाँवों से मज़दूर वापस शहरों में नहीं लौटेंगे तब तक उद्योग-धंधे कैसे चलेंगे?

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