आत्मनिर्भर भारत प्लान-4 : चौथे दिन की घोषणाएं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज की चौथी किस्त में 8 क्षेत्रों (कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, सामाजिक बुनियादी ढांचा, विमानन, बिजली वितरण, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र) में सुधारों और उनमें निजी क्षेत्र की एंट्री संबंधी घोषणाएं की। आज के ब्लॉग में हम उसी के प्रमुख बिंदुओं की जानकारी दे रहे हैं।
चौथा दिन : 16 मई 2020
■ कोयला
कोयला क्षेत्र में सरकार के एकाधिकार को खत्म किया जाएगा। कोल सेक्टर में कमर्शियल माइनिंग शुरू की जाएगी। भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयला भंडार है। 50 नए ब्लॉक नीलाम होंगे। इसके अपफ्रंट पेमेंट की सीमा होगी। आंशिक रूप से बंद पड़ी खदानों को निजी क्षेत्र को दिया जाएगा। समय से पहले खनन पूरा करने वालों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। सरकार इस बात से वाकिफ है कि कोयला पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है, इसलिए इसके गैसीफिकेशन पर जोर होगा। इससे स्वच्छ ऊर्जा मिलेगा और अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। आधारभूत ढांचे के विकास पर 50 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। कोल बेड मीथेन की नीलामी होगी। कंपनियों को रेवेन्यू साझा करना होगा।
■ मिनरल्स
खनिज क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों को लाया जाएगा। 500 माइनिंग ब्लॉक उपलब्ध कराए जाएंगे। बॉक्साइट और कोयले की संयुक्त नीलामी होगी। स्टांप ड्यूटी को व्यावहारिक बनाया जाएगा।
■ बिजली वितरण क्षेत्र
केंद्रशासित प्रदेशों में बिजली वितरण का निजीकरण किया जाएगा। इससे बेहतर सेवा मिलेगी और पावर वितरण में मॉडल के रूप में विकसित करेंगे। बाकी राज्य भी इनसे प्रेरित होंगे। इससे बिजली क्षेत्र में स्थिरता आएगी। बिजली उत्पादन कंपनियों को समय पर भुगतान हो सकेगा। साथ ही सब्सिडी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से दी जाएगी।
■ सामाजिक बुनियादी ढांचा
अस्पताल और स्कूल जैसे सामाजिक बुनियादी ढ़ाचे में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग में बदलाव किया गया है। सरकार ने इसे 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया है। इससे निजी निवेश आएगा। इसके लिए 8100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
■ रक्षा
देश में रक्षा साजो-सामान बनाने वाले ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड का कॉरपोरेटाइजेशन किया जाएगा। वित्त मंत्री ने साफ किया कि यह निजीकरण नहीं है। इससे बोर्ड के कामकाज में सुधार आएगा। हम उम्मीद करते हैं कि यह आगे सूचीबद्ध होगी जिससे आम नागरिकों को उसके शेयर खरीदने का मौका मिलेगा। इस क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी के बढ़ाकर 74 फीसदी कर दी गई है। डिफेंस उत्पादन में मेक इन इंडिया पर जोर दिया जाएगा। सेना को आधुनिक हथियारों की जरूरत है और उनका उत्पादन भारत में ही होगा। ऐसे उपकरणों और हथियारों की एक सूची अधिसूचित की जाएगी जिनके आयात पर पाबंदी होगी, उन्हें केेवल देश में ही खरीदा जाएगा।
■ नागरिक उड्डयन
असैन्य विमानों के लिए वायुक्षेत्र की पाबंदी में कमी की जाएगी। अभी देश में उनके लिए केवल 60 फीसदी वायुक्षेत्र ही उपलब्ध है। इससे ईंधन और समय की बचत होगी और हवाई यात्रा करने वालों को कम किराया देना पड़ेगा। देश में सरकार एवं निजी क्षेत्र साझेदारी (पीपीपी) के तहत 6 नए हवाई अड्डे विकसित किये जाएंगे। पहले और दूसरे चरण में 12 हवाई अड्डों में 13 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा। देश में ही विमानों के रखरखाव और मरम्मत को बढ़ावा दिया जाएगा। विमान रखरखाव और मरम्मत के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाया जाएगा।
■ अंतरिक्ष
अंतरिक्ष में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाने का मौका दिया जाएगा। निजी कंपनियां इसरो की सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकेंगी। जियोस्पेसल डेटा के लिए उदार नीति लाई जाएगी ताकि हमारे स्टार्ट अप को विदेशों पर निर्भर न रहना पड़े।
■ परमाणु ऊर्जा
मेडिकल आइसोटोप बनाने के लिए सरकार एवं निजी क्षेत्र साझेदारी (पीपीपी) मोड में रिसर्च रिएक्टर की स्थापना होगी। इससे कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में दुनिया को मदद मिलेगी। अभी परमाणु ऊर्जा पूरी तरह सरकार के पास है। जल्दी खराब होने वाली सब्जियों के लिए विकिरण तकनीक के माध्यम से एक खाद्य संरक्षण बनाया जाएगा। इससे फसलों को बर्बाद होने से बचाया जा सकेगा और प्याज जैसी उपज का लंबे समय तक भंडारण हो सकेगा। स्टार्ट अप को देश की परमाणु ऊर्जा का लाभ दिया जाएगा।
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